मरने के बाद की दुनिया

Sunday, April 11, 2010 11:44 PM Posted by rafiq khan

मरने के बाद और क़यामत(प्रलय) से पहले दुनिया और आखिरत के बीच एक और
दुनिया है जिसे आलमे बर्जख या बर्जखी दुनिया कहते हैं.सभी इंसानों और जिन्नात
को मरने के बाद इसी दुनिया में रहना होता है.इस बर्जखी दुनिया में अपने अपने
आमाल(कर्मों) के ऐतबार से किसी को आराम मिलता है किसी को तकलीफ.
मरने के बाद भी रूह(आत्मा) का तालुक बदन(शरीर) के साथ रहता है.रूह बदन से
अलग हो जाती है मगर बदन पर जो आराम या तकलीफ पहूँचती है रूह उसको जरूर
महसूस करती है.
मरने के बाद मुसलमानों की रूहें उनके दर्जात के ऐतबार से मुख्तलिफ मकामात(स्थानों)
में रहती है.कुछ की कब्र पर कुछ की ज़मज़म के कुए में,कुछ की आसमान में,कुछ की
आसमान और ज़मीन के बीच में,मगर रूहें कहीं भी हो उनका जिस्मों से तालुक बराबर
रहता है.जो कोई इनकी कब्र पर आये उसको वह देखते,पहचानते और उसकी बातों को
सुनते हैं.इसी तरह मरने के बाद काफिरों की रूहें उनके मरघट या कब्र पर,कुछ की यमन
के एक नाले बरहूत में,कुछ की सातवीं ज़मीन के निचे,लेकिन रूहें कहीं भी हो उनका तालुक
जिस्मों से बराबर रहता है.जो इनके मरघट या कब्र पर आये उसको देखते,पहचानते और
उसकी बातों को सुनते हैं.
जब आदमी मर जाता है तो अगर ज़मीन में गाड़ा जाए तो गाड़ने के बाद और अगर न गाड़ा
जाए तो वो जहाँ भी हो और जिस हाल में भी हो उसके पास दो फ़रिश्ते आते हैं.एक का नाम
मुन्किर और दुसरे का नाम नकीर.ये दोनों फ़रिश्ते मुर्दे से सवाल पूछते हैं कि तेरा रब कौन है,
तेरा दीन क्या है,और हजरत मुहम्मद सल्ल: कौन है.अगर मुर्दा ईमान वाला हुआ तो ठीक ठीक
जवाब देता है कि मेरा रब अल्लाह है,मेरा दीन इस्लाम है और हजरत मुहम्मद सल्ल: अल्लाह के
रसूल हैं.फिर उसके लिए जन्नत की तरफ से एक खिड़की खोल देते हैं जिससे ठंडी ठंडी हवाएं और
खुशबू कब्र में आती रहती है.और अगर मुर्दा बेईमान हुआ तो सब सवालों के जवाब में यही कहता
है की मुझे कुछ नहीं मालूम.फिर उसकी कब्र में दोजख(नरक) की तरफ से एक खिड़की खोल दी
जाती है और जहन्नम की गरम गरम हवाएं और बदबू कब्र में आती रहती है.और मुर्दा तरह तरह
के सख्त अजाबों में गिरफ्तार होकर तड़पता रहता है.फ़रिश्ते उसको गुर्जों से मारते हैं और उसके
बुरे आमाल(कर्म) सांप बिच्छु बनकर उसे अजाब पहुंचाते रहते है.कब्र में जो कुछ सवाब व अजाब
मुर्दे को दिया जाता है और जो कुछ उस पर गुजरती है वो सब चीजें मुर्दे को मालूम होती है.ज़िंदा
लोगों को इसका कोई इल्म(ज्ञान) नहीं होता.
ये मानना कि मरने के बाद रूह(आत्मा) किसी दुसरे शरीर में चली जाती है बिल्कुल गलत सोच है.
इसका मानना कुफ्र है.

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